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September 22, 2022
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पुत्र वियोग,सुभद्रा कुमारी चौहान

7 पुत्र वियोग

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न. पुत्र मृत्यु पर माँ के लिए अपने मन को समझाना  कठिन हो जाता है

प्रश्न . पुत्र वियोग के कारण कवयित्री स्वयं को असहाय कहती है

प्रश्न . उसका पुत्र सुभद्रा कुमारी चौहान का खिलौना  है

पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर

प्रश्न .कवयित्री का खिलौना क्या है

उत्तर- खिलोनें  बच्चों को अत्यंत प्रिय होते  है। खिलोने के साथ खेलते हुए वह सब कुछ भूल जाता है . खिलौने के साथ वह अपनी एक दुनिया बना लेता है ,खिलोने के साथ खेलते हुए वह खुश रहता है लेकिन जब खिलौना टूट जाता है ,बच्चा रोने लगता है .

 कवयित्री का खिलौना उसका बेटा है। कवयित्री भी एक माँ है . माँ के लिए उसका अपना शिशु खिलौने की तरह होता है ,जिसके साथ खेलते हुए माँ भी सब कुछ भूल सी जाती है .बच्चें को तनिक भी कष्ट होते ही माँ दुखी हो जाती है .

प्रश्न .कवयित्री स्वयं को असहाय और विवश क्यों कहती है

उत्तर-कवयित्री स्वयं को असहाय तथा विवश इसलिए कहती है कि अपने सारे संभावित उपायों के उपरांत भी अपने पुत्र को यमराज के हाथों से छुड़ाने में असमर्थ रही .उसने अपने पुत्र की दिन –रात  देखभाल की,  अपनी सुविधा असुविधा के बारे में कभी नहीं सोचा । पुत्र को सर्दी न  इसलिए उसे गोदी में लिए रहती । जिसने भी जिस देवी देवता ,मंदिर-मस्जिद ,संत-फ़क़ीर ,कर्मकांड ,पूजा अनुष्ठान करने को कहा ,उसने वैसा ही किया .इन सारे प्रयासों के उपरांत भी अपने पुत्र की अकाल  मृत्यु को नहीं टाल सकी। माँ कीअपनी  करुण पुकार से  क्रूर काल के ह्रदय को द्रवित नहीं कर सकी .काल उससे उसका पुत्र छिनकर ले गया ,और वह बेबस लाचार बनी देखती रही  , इस कारण कवयित्री ने स्वयं को असहाय और विवश कहा  है ।

प्रश्न .पुत्र के लिए माँ क्या-क्या उपक्रम करती है

उत्तर-पुत्र के लिए एक माँ अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देती है .माँ पुत्र के लिए अपना व्यक्तिगत सुख,चैन ,जागना सोना सब भूल जाती है .पुत्र को यदि कोई कष्ट हो तो माँ व्यथित हो जाति है .पुत्र हित के लिए वह जिस भी  देवी देवता को पूजने के कहा जाय ,उस देवता को पूजने लगती है ,जिस मंदिर-मस्जिद में जाने कहा जाता है ,वहां वहां जाती है   ,संत-फ़क़ीर के पास जाने के लिए कहा जाए ,वहां जाति है जो कर्मकांड ,पूजा अनुष्ठान करने को कहा जाए ,वह सब कराती है .

 प्रश्न . आज दिशाएँ भी हँसती हैं ,है उल्लास विश्व पर छाया

मेरा खोया हुआ खिलौना ,अब तक मेरे पास न आया।

उक्त पंक्ति का अर्थ स्पष्ट करें-

उत्तर-चारों  दिशाएँ हँस  हैं, सारा संसार प्रसन्न  है। किन्तु कवयित्री का  खोया हुआ खिलौना अर्थात उसे उसका पुत्र प्राप्त नहीं हुआ. कवयित्री का पुत्र सदा की लिए उससे  छिन गया। पुत्र वियोग से कवयित्री अत्यंत व्यथित , उद्विग्न और शोक विह्वल है। कवयित्री अपनी असंयमित मनस्थिति पुत्र के पुन: लौट आने की प्रतीक्षा करती है ।

प्रश्न .माँ के लिए अपना मन समझाना कब कठिन है और क्यों

उत्तर-माँ के लिए अपने मन को समझाना उस स्थिति में  कठिन हो जाता है, जब उसके पुत्र की असमय मृत्यु हो जाति है । एक माँ के लिए उसका पुत्र ही उसकी अमूल्य धरोहर होती है,उसका पुत्र उसे प्राण से ज्यादा प्रिय होता है ।  यदि क्रूर नियति असमय ही  उससे उसका पुत्र छीन ले तब माँ के लिए अपने मन को समझाना कठिन होता है।

प्रश्न .पुत्र को ‘छौना’ कहने से क्या भाव हुआ है, इसे उद्घाटित करें।

उत्तर-‘छौना’ का अर्थ होता है  किस पशु का बच्चा पशु का बच्चा बहुत सुंदर दिखाई देता ,मन को मोहनेवाला होता है ,वासी सुन्दरता और मन मोहक गुण के भाव से कवयित्री ने अपने पुत्र को छौना कहा है .

प्रश्न .      भाई-बहिन भूल सकते हैं ,पिता भले ही तुम्हें भुलाये

किन्तु रात-दिन की साथिन माँ,कैसे अपना मन समझाएँ।

मर्म उद्घाटित करें-

उत्तर-किसी अप्रिय घटित के कारण जब किसी परिवार में किसी की असमय मृत्यु हो जाती है तो उस समय सभी को गहरा दुःख होता है किन्तु जैसे जैसे समय व्यतीत होता है ,अन्य परिजन यथा पिता ,भाई –बहिन सामान्य होने लगते है किन्तु एक माँ के लिए उसे विस्मृत करना बड़ा कठिन होता है .हर उपाय माँ पर निष्प्रभावी ही रहता है .माँ उस सदमे से उबार ही नहीं पाती .समय व्यतीत होने के उपरांत भी वें क्षण स्मृति में बने रहते है ,जो रह -रहकर टीस देते रहते है .इस पीड़ा से मुक्ति का एक माँ के लिए इस संसार में कोई निराकरण नहीं .

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