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September 24, 2022
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गाँव का घर,ज्ञानेन्द्रपति

13 गाँव का घर

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2.ज्ञानेन्द्रपति जी आधुनिक काल  के कवि है

प्रश्न 3.ज्ञानेन्द्रपति जी एक सजग रचनाकार रचनाकार हैं।

प्रश्न 1. अर्थहीन होने के कारण। कवि चिन्तित  है

प्रश्न 3.गाँव में अब लोकगीत की धुनें सुनाई नहीं पड़ती है

प्रश्न 4. पूँजीवाद और आर्थिक उदारीकरण के कारण।गाँव के स्वरूप में परिवर्तन  आया है

प्रश्न 1.कवि की स्मृति में ‘घर का चौखट’ इतना जीवित क्यों है

उत्तर-समय गतिशील है ,परिवर्तन शील है ,समय के साथ-साथ परिवर्तन होना स्वाभाविक है किन्तु कुछ जीवन मूल्यों का जीवित रहना आवश्यक है .गाँव का जीवन जिसमे कभी आत्मीयता ,सादगी ,निष्कपट –निश्छल व्यवहार हुआ करता था ,वे समय के साथ-साथ विलुप्त होते जा रहे है .कवि जब अपने बचपन की स्मृतियों का स्मरण करता है और जब कवि को चौखट पर बुजुर्गों को घर के अन्दर अपने आने की सूचना के लिए खाँसने , बिना किसी का नाम पुकारे अन्दर आने की सूचना देना ।

चौखट के बगल में गेरू से रंगी हुई दीवार पर दूध देनेवाले का प्रतिदिन दूध की मात्रा का विवरण दूध से सने अपने अंगुल को उस दीवार पर छापना , जिनकी गिनती महीने के अंत में दूध का हिसाब करने के लिए की जाती थी ,यह सब बातें उन दृश्यों को जीवंत  बना देती है ,कवि सुखद अनुभूति से भर  है .

प्रश्न 2.“पंच परमेश्वर” के खो जाने को लेकर कवि चिन्तित क्यों है

उत्तर-एक समय था जब गाँव में आपसी विवाद का निपटारा पंचों द्वारा द्वारा निपटा लिया जाता था .पंचों के फैसले को परमेश्वर का फैसला मानकर स्वीकार कर लिया जाता था ,किन्यु वर्त्तमान में पंचायती राज व्यवस्था ने राजनितिक स्वरुप धारण कर लिया है . गांवों की स्थानीय पञ्च परमेश्वर वाली न्याय व्यवस्था विलुप्त हो गयी है .पञ्च परमेश्वर वाली व्यवस्था का स्थान अदालतों ने ले लिया है . इस परिवर्तन से कवि चिंतित है .

प्रश्न 3.“कि आवाज भी नहीं आती यहाँ तक, न आवाज की रोशनी न रोशनी की आवाज” यह आवाज क्यों नहीं आती

उत्तर- आवाज भी नहीं आती यहाँ तक, न आवाज की रोशनी न रोशनी की आवाज” इस पंक्ति से कवि का आशय है कि जब तक गांवों में बिजली नहीं पहुंची यही थी तब तक गांवों में लोक संगीत और लोकगीत जीवन की नीरसता अथवा बोझिलता को तोड़कर आनंद का संचार करनेवाले माध्यम हुआ करते थे ,बिजली आने पर उसका स्थान संगीत के विद्युत् उपकरणों ने ले लिया किन्तु गांवों में अधिकांश समय बिजली गुल ही रहती है .लोकगीत-संगीत भी नहीं रहा और बिजली गुल रहने के कारण विद्युत् उपकरणों से सुने जाने वाले संगीत का भी आनंद नहीं ले पा रहे है .

प्रश्न 4.आवाज की रोशनी या रोशनी की आवाज का क्या अर्थ है

उत्तर-कवि कविता के माध्यम से जिस कथ्य का बोध पाठकों को करना चाहता है उसके अनुसार गाँव अब अपनी पहचान खो चुका है ,शहरी संस्कृति के प्रभाव से गाँव के लोकगीत-संगीत पहले ही पलायन कर चुके है .अधिकांश समय बिजली गुल रहने के कारन विद्युत् संगीत उपकरण भी गूंगे बने रहते है . गाँव आवाज की रोशनी या रोशनी की आवाज दोनों से ही वंचित है .

प्रश्न 5.कविता में किस शोकगीत की चर्चा है

अब गांवों में चैता ,बिरहा ,आल्हा जो कभी जीवन में उमग ,उल्लास ,मस्ती और उन्माद भरते थे लेकिन लोकगीत-संगीत गाँव से पलायन कर चुके है .गाँव में सन्नाटा का शोक संगीत ही संगीत सुने देता है .सन्नता ऐसा जान पड़ता है जैसे मर्सिया गया जा रहा हो . गाँव की उमग ,उल्लास ,मस्ती और उन्माद जो कभी गाँव की पहचान हुआ करती थी ,दूर-दूर तक नज़र नहीं आती .एक अनसुना –अनगाया शोक गीत संगीत सर्वत्र पसरा हुआ है .

प्रश्न 6.सर्कस का प्रकाश-बुलौआ किन कारणों से मरा होगा.

उत्तर-सर्कस जो अपने समय का सबसे लोकप्रिय जीवंत मनोरंजन का साधन हुआ करता था .जब कभी किसी शहर में सर्कस लगता तो बुलौवा जो एक प्रकार की सर्च लाइट हुआ कराती थी ,जिसकी रोशनी दूर से ही दिखाई देती थी जो इस बात का संकेत देती कि स्थान पर  सर्कस का खेल हो रहा है .बुलौवा की यह रोशनी  आस पास के गांवों तक भी पहुंचती थी .किन्तु सिनेमा और टीवी की चकाचौध के सामने सरकस लगभग समाप्त प्राय हो चुके है .अब शहरों से बुलौवे की रोशनी आती दिखाई नहीं देती .यह परिवर्तन का संकेत है .इस परिवतन के साथ –साथ सरकस भी मर गया .

प्रश्न 7.गाँव के घर रीढ़ क्यों झुरझुराती है इस झुरझुराहट के क्या कारण हैं

उत्तर-वातावरण में शांति ,छल-प्रपंच से रहित सीधे-सरल ग्रामीण ,परस्पर प्रेम और सहयोग ,निश्छल-निष्कपट जीवन शैली ,लोकगीत-संगीत,पवित्र सौम्य ,सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित   गाँव की पहचान अथवा रीड हुआ करती थी ,शहरों की आधुनिक जीवन शैली ने गाँव तक अपने पैर पसारकर गाँव की पहचान को ही निगल किया .घर के अन्दर अपने आने की सूचना के लिए खाँसने , बिना किसी का नाम पुकारे अन्दर आने की सूचना देना । चौखट के बगल में गेरू से रंगी हुई दीवार पर दूध देनेवाले का प्रतिदिन दूध की मात्रा का विवरण दूध से सने अपने अंगुल को उस दीवार पर छापना , लोकगीत-संगीत सब पलायन कर चले गए .सरकस देखने आने की बजे अब देहात के लोग अदालती काम या अस्पताल में इलाज के आने लगे है .गांवों में पहले जैसा समन्वय और सामंजस्य कहीं दिखाई नहीं देता .

प्रश्न 8.मर्म स्पष्ट करेंदृ”कि जैसे गिर गया हो गजदंतों को गंवाकर कोई हाथी”।

उत्तर- जैसे गिर गया हो गजदंतों को गंवाकर कोई हाथी”।यह पंक्ति  शहरी संस्कृति के प्रभाव से गाँव की लुप्त होती जा रही

पहचान की पीड़ा को व्यक्त करती है . वातावरण में शांति ,छल-प्रपंच से रहित सीधे-सरल ग्रामीण ,परस्पर प्रेम और सहयोग ,निश्छल-निष्कपट जीवन शैली ,लोकगीत-संगीत,पवित्र सौम्य ,सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित   गाँव की पहचान खो गई है . वर्तमान गाँव की स्थिति ठीक वैसी ही जैसे कोई हाथी अपने दोनों दांत  खोकर  पीड़ा से भूमि पर गिरा पड़ा हो  .गजदंत हाथी की शोभा होती है ,दंतहीन हाथी विद्रूप लगाने लगता है .अपनी पहचान खोते गाँव भी दन्त हीन हाथी की तरह लगने लगे है .

प्रश्न 9.कविता में कवि की कई स्मृतियाँ दर्ज हैं। स्मृतियों का हमारे लिए क्या महत्त्व होता है, इस विषय पर अपने विचार विस्तार से लिखें।

उत्तर-“कवि गाँव में जन्मा ,पला और बड़ा हुआ .उसने देहाती जीवन को कहानी किताबों में  नहीं पढ़ा  बल्कि उस

 जीवन को नज़दीक देखा भी है जिया भी है .वक़्त गुजर गया वक़्त के साथ बहुत कुछ बदल गया किन्तु स्मृतियाँ आज भी शेष है . गाँव का वह शांत वातावरण  ,छल-प्रपंच से रहित निश्छल-निष्कपट सीधे-सरल ग्रामीण ,परस्पर प्रेम और सहयोग के साथ जीते थे  , लोकगीत-संगीत में सरसता हुआ कराती थी .जीवन पवित्र ,सौम्यऔर सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित हुआ करता था  . शहरी संस्कृति के प्रभाव से गाँव की पहचान खो गई. .कवि जब अपने बचपन की स्मृतियों का स्मरण करता है और जब कवि को चौखट पर बुजुर्गों को घर के अन्दर अपने आने की सूचना के लिए खाँसने , बिना किसी का नाम पुकारे अन्दर आने की सूचना देना । चौखट के बगल में गेरू से रंगी हुई दीवार पर दूध देनेवाले का प्रतिदिन दूध की मात्रा का विवरण दूध से सने अपने अंगुल को उस दीवार पर छापना , जिनकी गिनती महीने के अंत में दूध का हिसाब करने के लिए की जाती थी ,यह सब बातें उन दृश्यों को जीवंत  बना देती है ,कवि सुखद अनुभूति से भर जाता  है .

गाँव का घर” शीर्षक कविता में कवि के जीवन की कई स्मृतियाँ दर्ज हैं। अपनी कविता के माध्यम से कवि उन स्मृतियों में खोजा है। बचपन में गाँव का वह घर, घर की परंपरा, ग्रामीण जीवनदृशैली तथा उसके विविध रंगदृइन सब तथ्यों को युक्तियुक्त ढंग से इस कविता में दर्शाया गया है।

स्मृतियों का स्थान  व्यक्ति के जीवन में अत्यंत  महत्व रखता  है। स्मृतियां व्यक्ति को  आत्म-निरीक्षण करने और जीवन की विसंगतियों से स्वयं को मुक्त करने का अवसर देती  है। हैं

प्रश्न 10.चौखट, भीत, सर्कस, घर, गाँव और साथ ही बचपन के लिए कवि की चिन्ता को आप कितना सही मानते हैं अपने विचार लिखें।

उत्तर- गाँव का घर”  कविता में चौखट, भीत, सर्कस ,घर, गाँव आदि प्रयुक्त हुए है ,यें शब्द कविता के उपकरण मात्र नहीं है बल्कि यह शब्द कवि को अतीत से जोड़ते है । यें शब्द वर्त्तमान और अतीत के बीच खोने  और पाने की सुखद और दुखद स्थितियों को  रेखांकित करती है। घर का चौखट ,बुजुर्गों का  खाँसकर या  आवाज लगाकर अन्दर आना पारिवारिक मर्यादा का साक्षी है । गेरू लिपी भीत  शिक्षा के अभाव विकल्प बनकर उभरता है । सर्कस जो वास्तविक और  जीवंत मनोरंजन का माध्यम हुआ करता था ,वह सर्कस सिनेमा और टीवी की चकाचौध में खो गया है ।ग्रामीण जो कभी सालो-बरसों में मनोरंजन के लिए शहर सर्कस देखने जाया करता था  ,आज अदालतों और अस्पतालों में अपनी गाढ़ी कमाई लूटाने जाता है .कवि इस बदलाव से चिंतित है ,कवि का चिंतित होना स्वाभाविक भी और उचित भी ,गाँव खोते जा रहे है ,लोकगीत-संगीत की सरसता बीते हुए दिनों की बात हो गई है ,जिन लोकगीतों में संस्कृति का इतिहास छुपा हुआ है .विरासत अथवा धरोहर को खोना निस्संदेह पीड़ा देता है .

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