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बात-चीत,बाल कृष्ण भट्ट
1-बात-चीत (बाल कृष्ण भट्ट )
पाठ्य पुस्तक के प्रश्न . उत्तर
प्रश्न 1.अगर हममें वाकशक्ति न होती तो क्या होता?
उत्तर-वाकशक्ति मनुष्य के लिए ईश्वर प्रदत्त वरदान है .वाकशक्ति के माध्यम से ही मनुष्य अपने ह्रदयगत मनोभावों का सम्प्रेषण कर पाता है .यदि वाक शक्ति न होती तो मनुष्य पशुओं के समान मूक होता .मनुष्य गूंगे व्यक्ति के सामान संकेतों का सहारा लेता . वाक्शक्ति के द्वारा मनुष्य जब अपने विचार अथवा भाव प्रकट करता है उसे हम ह्रदय से अनुभव कर पाते है किन्तु वाक् शक्ति के अभाव में सुखद अथवा दुखद भावों का अनुभव नहीं कर पाते .
प्रश्न 2.बातचीत के संबंध में वेन जॉनसन और एडीसन के क्या विचार हैं?
उत्तर- बोलने से ही मनुष्य के सही रूप का साक्षात्कार होता है,बेन जानसन यह कथन अक्षरश सत्य है । बोलने से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व और चरित्र का निर्धारण होता है .
एडीसन मानना है कि असल बातचीत सिर्फ दो व्यक्तियों में हो सकती है . जब दो मनुष्य होते हैं तब वेंएक दूसरे के समक्ष अपने हृदयगत मनोभावों या विचारों को स्पष्टता से प्रकट कर सकते है ।
जब बातचीत में दो से तीन हो जाते है , तब दो व्यक्तियों की मुख्य बात कोसों दूर चली जाती है । किसी तीसरे व्यक्ति के आ जाते ही या तो वे दोनों अपनी बातचीत से निरस्त हो बैठेंगे या उसे निपट मूर्ख अज्ञानी, समझने लगेंगे । जैसे गरम दूध और ठंडे पानी के दो बर्तन पास-पास रखने का जो प्रभाव होता है ,वैसा ही प्रभाव उनकी बातचीत में दिखाई देने लगेगा . चाहे वें एक दूसरे को देखें भी नहीं। एक के भाव या विचार दूसरे तक तरंगित होकर पहुँचने लगते है . जब बिना बोले पास बैठने का इतना प्रभाव होता है, तब बातचीत में कितना प्रभाव होगा ,इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है .
प्रश्न 3.‘आर्ट ऑफ कनवरशेसन’ क्या है?
उत्तर-‘आर्ट ऑफ कनवरसेशन’ यूरोप में बातचीत करने की एक कला है। इस बातचीत की काव्यकला में प्रवीण विद्वमंडली द्वारा ऐसी चतुराई के साथ इसमें प्रसंग छोड़े जाते हैं कि जिन्हें सुनकर कानों को सुख मिलता है। इसे शुद्ध गोष्ठी भी कहा जा सकता है। इस गोष्ठी की यह विशेषता है कि बात करनेवालों की पंडिताई का अभिमान या कपट प्रकट नहीं होता .कानों में रसाभास उत्पन्न करने वाले शब्दों का प्रयोग करते हुए चतुर सयाने अपने बातचीत को सरसबनाये रखते हैं। हमारे यहाँ के पंडित आधुनिक शुष्क बातचीत में जिसे शास्त्रार्थ कहते हैं, वैसा रस नहीं घोल सकते।
प्रश्न 4.मनुष्य की बातचीत का उत्तम तरीका क्या हो सकता है? इसके द्वारा वह कैसे अपने लिए सर्वथा नवीन संसार की रचना कर सकता है?
उत्तर-स्ववार्ता बातचीत का सबसे उत्तम तरीका है।स्ववार्ता का अर्थ है स्वयं से वार्ता करना .स्ववार्ता का सबसे बड़ा लाभ यह है कि हम स्वयं की अच्छाई या बुरे से परिचित हो सकेंगे .हमें आत्म मूल्यांकन का अवसर प्राप्त होगा . चित्त को एकाग्र कर मनोवृत्ति स्थिर कर अपने आप से बातचीत करे ।ऐसा करने से वाकशक्ति का दमन भी न होगा और अपने श्रेष्ट्र से पहले अधिक आदर –सम्मान पा सकेंगे .
प्रश्न 5.व्याख्या करें .
(क) हमारी भीतरी मनोवृत्ति प्रतिक्षण नए-नए रंग दिखाया करती है। वह प्रपंचात्मक संसार का एक बड़ा भारी आइना है, जिसमें जैसी चाहो वैसी सूरत देख लेना कोई दुर्घट बात नहीं है।
व्याख्या-(क) उक्त पंक्ति बालकृष्ण भट्ट द्वारा रचित ‘बातचीत’ शीर्षक निबन्ध से उद्धृत है। वाकशक्ति भाव या विचार अभिव्यक्ति का माध्यम है परन्तु मन की मनोवृत्ति स्थिर नहीं रहती है। मन में अच्छे-बुरे भाव-विचारों का आवागमन होता रहता है । किन्तु यदि मन को स्थिर कर लिया जाय तो यह आइना के समान भी है। यह संसार छल प्रपंच से भरा पड़ा है .मनुष्य आत्म्वार्ता द्वारा अच्छे-बुरे की पहचान कर अपने लिए श्रेष्ट का चयन कर सकता है .आत्म नियंत्रण हो जाने पर क्रोध जैसे अजेय शत्रु भी वश में किया जा सकता है .हम नवीन संसार की रचना कर बातचीत के माध्यम से जीवन रस की रसनुभूति और आत्मानुभूति कर सकेंगे .
(ख) सच है, जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण-दोष प्रकट नहीं होता।
उत्तर-
(ख) उक्त पंक्ति बालकृष्ण भट्ट द्वारा रचित ‘बातचीत’ शीर्षक निबन्ध से उद्धृत है। लेखक कहना चाहते है कि बातचीत एक प्रकार से व्यक्ति के व्यक्तित्व का प्रमाण पत्र है .बातचीत के माध्यम से ही यह ज्ञात होता है कि जिस व्यक्ति से बातचीत की जा रही है वह कितना अच्छा अथवा बुरा है .जब तक व्यक्ति मूक बना रहता है ,उसका चरित्र उद्घाटित नहीं होगा . परन्तु उसके कुछ बोलते ही उसके गुण-दोष प्रकट होने लगते हैं। बोलने से ही मनुष्य के गुण-दोष की पहचान होती है।
प्रश्न 6.इस निबन्ध की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर- लेखक बाल कृष्ण भट्ट ने वाक् शक्ति को ईश्वर प्रदत्त वरदान बतलाया है .यह वाक् शक्ति ही है जो मनुष्य को पशुओं से भिन्न पहचान देती है .लेखक ने अपने अनुभव और वैचारिक चिंतन से बातचीत के भिन्न –भिन्न तरीके बतलाते हुए यह भी बतलाया है कि किस प्रकार की बातचीत श्रेष्ट है .बेन जानसन और एडिसन के कथन के माध्यम से बातचीत के महत्त्व को स्पष्ट किया है .निष्कर्ष रूप में लेखक ने सभी प्रकार की बातचीत के तरीकों में स्ववार्ताअर्थात आत्म्वार्ता को सर्व श्रेष्ट बतलाया है .आत्मवार्ता द्वारा मनुष्य एक नवीन संसार की रचना कर लेता है .बातचीत मन बहलाव का साधन होने के साथ-साथ व्यक्तित्व विकास में भी सहायक है
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