21- मई आतंकवाद विरोधी दिवस ( Anti Terrorism Day )
भारत भूमि – देवताओ की भूमि ….. भारत भूमि – ऋषि मुनियों की भूमि …..भारत भूमि -महापुरूषों की भूमि ….जिन्होंने सिर्फ… सिर्फ ….और सिर्फ प्रेम करना सिखाया …..अहिंसा को परमोधर्म बतलाया ….अपनी राजनितिक भौगोलिक सीमाओं में रहनेवालों लोगों को ही नहीं वरन सम्पूर्ण भू-लोक पर रहनेवालों को अपना स्वजन माना और कहा-वसुदैव कुटुम्बकम और सर्व हिताय प्रार्थना की -सर्वे भवन्तु सुखिन:,सर्वे सन्तु निरामया : .दूसरे देश से आये लोगो का आतिथ्य सत्कार किया ,इस भावना से कि अतिथि देवो भव :
आज से युगों पहले हमारे पूर्वज हमें यही संस्कार विरासत में देकर गए .उनके वंशजों ने वचन दिया, –प्राण जाए पर वचन जाये और इस वचन का अक्षरश पालन किया ……हमने अपनी भौगोलिक सीमाओं का विस्तार करने के उद्देश्य कभी दूसरे देश पर आक्रमण नहीं किया …..
हमारी इसी उदारता ,सहिष्णुता ,दया ,करूणा ,प्रेम, अहिंसा मनुष्यता जैसी उद्दात और पवित्र भावना को ,जिसे हम अपनी ताक़त समझते थे ,शत्रु के लिए हमारी सबसे कमजोर नब्ज बन गई.हमारे साहित्यकारों भले ही इन विशेषताओ को गीतों में पिरो –पिरो कर खूब गुणगान किया .
लेकिन हमे इस सत्यता को भी स्वीकार करना चाहिए की हम शत्रुओं से पराजित हुए. एक बार नहीं कई -कई बार .इसलिए नहीं कि हम कमज़ोर थे ,हमारी बाजुओं में ताक़त नहीं थी ,हमारी शिराओं में गर्म खून नहीं खौलता था बल्कि इसलिए कि हमारी उदारता ,सहिष्णुता दया ,करूणा ,प्रेम, अहिंसा मनुष्यता को ही शत्रु ने हथियार बनाकर हम पर हमला किया और हम अपनी उदारता ,सहिष्णुता दया ,करूणा ,प्रेम, अहिंसा मनुष्यता के कारण शत्रु से पराजित हुए .
हम उस देश के वासी है जिस पर स्वयं भगवान राम और कृष्ण बनकर अवतरित हुए .हमने राम की मर्यादा को तो देखा ,उसे पूजा किन्तु उनके कंधे पर लगे धनुष को देखना भूल गए ,श्री राम ने धनुष अपने कंधे पर सजावट के लिए नहीं रखा था .शत्रु का नाश करने के लिए रखा था .इसी तरह हमने कृष्ण की बांसुरी तो देखी लेकिन उनके हाथों में लगा सुदर्शन चक्र हमे दिखाई नहीं दिया .
हमने मर्यादा और बांसुरी रख ली . शत्रु ,जिन्हें हम आतंवादी कहते है वें राम और कृष्ण से धनुष और सुदर्शन ले गए . उन्ही हथियारों से हमारे देश के निर्दोष लोगों का खून बहाया और आज भी बहाया जा रहा है –आतंकवाद के नाम से .
इनके निर्दय ,निर्मम ,कारुणिक ,हिंसक कृत्य पूरी मानव जाति को भय और आशंका के बीच जीने के लिए विवश कर रहे है .इन आतंकियों का भय सामान्य जन के चेहरे और आँखों में स्पष्ट देखा जा सकता है.
टीवी के न्यूज़ चैनल हो या समाचार पत्र का मुख पृष्ट ऐसी ही आतंकी घटनाओ से भरे होते है .टीवी और समाचार पत्रों में दिखाए गए चित्रों में हमारा परिजन नज़र आने लगता है .
आतंकवादियों का आतंक इतना बढ़ गया है कि पत्नी और बच्चें परिवार के मुखिया के थोड़ी देर तक न लौटने पर अप्रिय कल्पना से घिर जाते है .कहीं …………….?
नफ़रत का ज़हर हवाओं में घुल गया है .
स्थिति यह हो गई है कि नकाब से ढका चेहरा देखते ही मस्तिष्क उसके हाथ में खून से सना छुरा या मशीन गन होने की कल्पना कर लेता है .
जब किसी आतंकी संगठन के सरगना को गिरफ्तार किया जाता है या सजा सुनाई जाती है ,लोग अगले कुछ दिनों में अप्रिय हिंसक घटना होने का अनुमान लगाने लगते है .यह प्रभाव है आतंक वाद का .
यह स्थिति किसी एक देश की नहीं बल्कि पूरे विश्व की है .अंतर सिर्फ कम या ज्यादा संख्या का है .
हर दिन किसी ना किसी आतंकवादी या आतंवादी संगठन द्वारा फैलाये आतंक की घटना का समाचार टीवी चैनल और समाचार पत्र हम तक पहुंचाते है . शायद ही कोई दिन ऐसा छूटता हो जिस दिन आतंकी घटना का समाचार पढ़ने या सुनने को न मिलाता हो .
आतंकवादी संगठन शांति से रह रहे दुनिया के हर इंसान के भीतर डर पैदा करना चाहता हैं. इन आतंकवादियों के लिए इन्सान शब्द का प्रयोग करना दूसरे इंसानों का अपमान या अन्याय करना होगा . इंसानों में तो इंसानियत होती है .इन्सान दया ,करूणा .प्रेम ,सहानुभूति और परस्पर सहयोग जैसे शब्दों का अर्थ समझता है और ह्रदय से अनुभव करता है , इसीलिए जिस इन्सान के दिल में दया ,करूणा .प्रेम ,सहानुभूति और परस्पर सहयोग जैसे भाव पैदा नहीं होते ,इनके लिए नया शब्द गढ़ागया होगा –हैवान .
आतंकवादी पौराणिक ग्रंथों में वर्णित भयावह राक्षसों का ही पुनर्जन्म जान पड़ता है .आतंकियों का एक –एक लक्षण पौराणिक ग्रंथो मर वर्णित राक्षसों से मिलता है .
आतंकी संगठन आतंकी पैदा करने की फैक्ट्री बन गए है .हथियारों की खेती कर रहे है . जिन युवाओं के ह्रदय में प्रेम की कोमल भावनाएं तरंगित होनी चाहिए ,उनका ह्रदय निर्दोष इंसानों के प्रति नफ़रत से भर दिया जाता है . ये इतने क्रूर और पत्थर दिल हो गए है कि किसी फूल से मासूम बच्चे की हत्या करते हुए इनका दिल थोडा भी नहीं पसीजता .
आतंकवादियों के बमों के धमाको से दहला और सहमा हुआ हर देश और हर देश का नागरिक इस आतंक से मुक्त होना चाहता है ,दुनिया के कुछ समर्थ और शक्ति सम्पन्न देश ऐसा कर सकते है किन्तु उन देशों के अपने निजी हित और स्वार्थ निहित होने के कारण यथार्थ के धरातल पर उतर कर उन देशों के विरुद्ध कार्रवाही नहीं करते , जिन देशों ने आतंकियों को न सिर्फ शरण दे रखी है बल्कि उनका पोषण कर रहे है .
वसुदैव कुटुम्बकम और अहिंसा परमोधर्म की भावना रखने वाले शांतिप्रिय भारत ने सबसे ज्यादा आतंकवाद के दंश को झेला है
अंतर्राष्ट्रीय स्तर आतंकवाद के विरुद्ध हर साल आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने का निर्णय लेकर सर्वप्रथम भारत ने ही आवाज़ उठाई .समय –समय पर अंतर्राष्ट्रीय मंचों से आतकवाद के विरुद्ध एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया .
इसके पीछे भी आतंकी घटना ही थी -.
31अक्टूबर ,1984 को इंदिरा गाँधी की हत्या के तुरंत बाद राजीव गांधी को प्रधान मंत्री की शपथ दिलाई गयी। उधर पडोसी राष्ट्र श्री लंका में लिट्ठे नाम के आतंकी संगठन ने श्री लंका में तांडव मचा रखा था .
श्री लंका सरकार ने तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गाँधी से आतंकी संगठन लिट्ठे का दमन करने के लिए सैनिक सहायता मांगी .राजीव गाँधी ने भारतीय सैनिकों को शांति सेना के रूप में श्री लंका भेज दिया .इस कारण लिट्ठे संगठन की गतिविधियों पर अंकुश लग गया .राजीव गाँधी द्वारा लिट्ठे संगठन के विरुद्ध भारतीय सेना को श्री लंका भेजने से लिट्ठे संगठन राजीव गाँधी से नाराज हो गया .
21 मई 1991 को राजीव गांधी चुनावी दौरे के लिए तमिलनाडु गए थे .
चुनावी रैली के दौरान एक महिला जो लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम संगठन से जुडी हुई थी .पूर्व योजना के अनुसार रैली में पहले से मौजूद थी .वह महिला राजीव गाँधी को माला पहनाने के बहाने राजीव गाँधी के समीप पहुँच गयी . उसने स्वयं के साथ राजीव गांधी को भी बम से उड़ा कर साजिश को अंजाम दे दिया . राजीव गाँधी के आस- पास में खड़े 25 अन्य लोग इस साजिश का शिकार हुए , इन हत्याओं के बाद सरकार ने आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कड़े कदम उठाना शुरू कर दिया.
राजीव गाँधी की मृत्यु के बाद भारत के नए प्रधानमंत्री ने वी. पी. सिंह ने आतंकवाद विरोधी दिवस को मनाने की घोषणा कर दी. जिससे पूरे देश को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट किया जाए एवं आतंकी संगठन की गतिविधियों को नियंत्रित किया जा सकें.
राजीव गाँधी की पुण्यतिथि को आतंक विरोधी दिवस मनाने का उद्देश्य है –आतंक के विरुद्ध जागरूकता लाना था ताकि जाने अनजाने में आतंकी साजिश से सावधान हो सकें.
हम श्री राम की मर्यादा का पालन भी करेंगे और श्री कृष्ण की बांसुरी सुनेंगेभी और सुनायेंगे भी परन्तु शपथ ले आवश्यकता पड़ने पर शत्रु के विरुद्ध अब धनुष और सुदर्शन का प्रयोग करने को भी अपना धर्म बनायेंगे .
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