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12th UP

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September 8, 2022
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गीत,सान्ध्यगीत,दीप, शिखा,महादेवी वर्मा

गीत/सान्ध्यगीत/दीप शिखा                                                                                                                                महादेवी वर्मा

।ण्        चिर सजग ………………………… दूर जाना

गीत-1

1 चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना!

जाग तुझको दूर जाना!

अचल हिमगिरि के हृदय में आज चाहे कम्प हो ले,

या प्रलय के आँसुओं में मौन अलसित व्योम रो ले;

आज पी आलोक को डोले तिमिर की घोर छाया,

जाग या विद्युत-शिखाओं में निठुर तूफान बोले!

पर तुझे है नाश-पथ पर चिह्न अपने छोड़ आना!

जाग तुझको दूर जाना!

प्रश्न-1     प्रस्तुत काव्यांश में कवयित्री ने किसे और क्यों सम्बोधित किया है ?

उत्तर     प्रस्तुत काव्यांश में कवयित्री अपने प्राणों कों सम्बोधित कर रही है, ताकि साधना पथ पर चलते हुए उसके प्राण बाधाओं से विचलित न हो सके।

प्रश्न-2     कवयित्री ने किसका त्याग कर जागने की बात कही है और क्यों?

उत्तर     कवयित्री ने आलस्य और प्रमाद का त्याग करने की बात कही है क्योंकि साधना पथ पर चलते हुए बहुत दूर तक जाना है।

प्रश्न-3     कवयित्री ने किन-किन स्थितियों मे अपने चिन्ह छोड़ने अथवा साधना पथ से विचलित नहीं होने की बात कही है?

उत्तर     हिमालय के कम्पित होने या प्रलय दृष्टि होने या सर्वत्र अंधकार व्याप्त होने या बिजली गिरने अथवा तूफान चलने जैसी विनाशक स्थिति में भी आगे बढ़ते रहने की बात कही है।

प्रश्न-4     काव्यांश में प्रयुक्त  अलंकार बतलाइए?

उत्तर     मानवीकरण एवं रूपक अलंकार।

प्रश्न-5     कविता का शीर्षक एवं कवि का नाम बतलाइए?

उत्तर     कविता का शीर्षक है-गीत और कवयित्री है-महादेवी वर्मा

ठण्       बांध लेगे ………………………… दूर जाना।

2 बाँध लेंगे क्या तुझे यह मोम के बन्धन सजीले?

पंथ की बाधा बनेंगे तितलियों के पर रँगीले?३

विश्व का क्रन्दन भुला देगी मधुप की मधुर गुनगुन,

क्या डुबा देंगे तुझे यह फूल के दल ओस-गीले?

तू न अपनी छाँह को अपने लिए कारा बनाना!

जाग तुझको दूर जाना!

प्रश्न-1     मोम के बंधन से कवयित्री का क्या आशय है?

उत्तर     मोम के बंधन से कवयित्री का आशय मोम के समान शीघ्र नष्ट हो जाने वाले सांसारिक बंधन से है।

प्रश्न-2     तितलियों के रंगीन पंख से क्या आशय है?

उत्तर     तितलियों के रंगीन पंख से कवयित्री का आशय सांसारिक आकर्षणों से है।

प्रश्न-3     भंवरों का गुंजार और पत्ते पर जमी ओस बूंद किसका प्रतीक है?

उत्तर     भवरों का गुंजार पारिवारिक संबंधियों के करूण क्रन्दन का प्रतीक है और पत्ते पर जमीं ओस सौन्दर्य के प्रति आसक्ति का प्रतीक है।

प्रश्न-4     छाया को बंधन न बनाने से कवयित्री का क्या आशय है?

उत्तर     छाया को बंधन न बनाने से कवयित्री का आशय है कि सांसारिक आकर्षण छाया के समान है, माया है, इस माया-मोह में बंॅधकर साधना पथ से विमुख नहीं होना है।

प्रश्न-5     कवयित्री के अनुसार साधना पथ में कौन-कौन बॉंधा बन सकता है।

उत्तर     कवयित्री के अनुसार सांसारिक बंधन, सांसारिक आकर्षण, स्वजनों का करूण क्रन्दन, सौन्दर्य के प्रति आसक्ति साधना पथ में बाधक बन सकते है।

प्रश्न-6     काव्यांश में प्रयुक्त अलंकार बतलाइए?

उत्तर     अनुप्रास और रूपक अलंकार

प्रश्न-7     कविता का शीर्षक एवं कवि का नाम बतलाइए?

उत्तर     कविता का शीर्षक है-गीत और कवयित्री है-महादेवी वर्मा

ब्ण्        वज्र का उर ………………………… दूर जाना

3 वज्र का उर एक छोटे अश्रुकण में धो गलाया,

दे किसे जीवन-सुधा दो घूट मदिरा माँग लाया?

सो गई आँधी मलय की बात का उपधान ले क्या?

विश्व का अभिशाप क्या चिर नींद बनकर पास आया?

अमरता-सुत चाहता क्यों मृत्यु को उर में बसाना?

जाग तुझको दूर जाना!

प्रश्न-1     साधक साधना पथ पर आगे बढ़ने से विचलित क्यों हो गया?

उत्तर     प्रियजनों का क्रन्दन सुनकर उसका हृदय पिघल गया। भावनाओं के आवेश से उठे आसुओं ने उसके निश्चय को गला दिया।

प्रश्न-2     कवयित्री ने किसी कार्य को अकृत्य कहा है?

उत्तर     कवयित्री ने साधनामय जीवन को छोड़कर मदिरा समान आलस्य और प्रमाद में डूबने को कवयित्री ने अकृत्य कहा है।

प्रश्न-3     मलयानिल का तकिया लगाकर उत्साह की ऑंधी में विश्राम से कवयित्री का क्या आशय है?

उत्तर     सांसारिकता और भौतिकता के साधनों का उपयोग कर आलस्य की नींद में पडे रहने से है।

प्रश्न-4     कवयित्री ने साधना पथ पर आलस्य का क्या प्रभाव बतलाया है?

उत्तर     आलस्य अभिशाप बनकर साधक के लक्ष्य को नष्ट कर देगा।

प्रश्न-5     अमर पुत्र कहने से कवयित्री का क्या आशय है?

उत्तर     मनुष्य देह में व्याप्त आत्मा परमात्मा का ही अंश है परमात्मा अविनाशी है, इसलिए मनुष्य की आत्मा भी अविनाशी अर्थात् अमर है।

प्रश्न-6     काव्यांश के अन्त में कवयित्री ने किन शब्दों में साधक को उद्बोधित किया है।

उत्तर     सांसारिकता को त्यागकर आत्मोत्थान के लिए अज्ञानता की निन्द्रा से जागना होगा, क्योंकि साधना का पथ अत्यन्त कठिन है।

प्रश्न-7     काव्यंाश में प्रयुक्त अलंकार का नाम बतलाइए?

उत्तर     अनुप्रास एवं रूपक

प्रश्न-8     कविता का शीर्षक एवं कवि का नाम बतलाइए?

उत्तर     कविता का शीर्षक है-गीत और कवयित्री है-महादेवी वर्मा

क्ण्       कह न ठंडी ………………………… दूर जाना

4 कह न ठण्डी सॉस में अब भूल वह जलती कहानी.

आग हो उर में तभी दृग में सजेगा आज पानी;

हार भी तेरी बनेगी मानिनी जय की पताका,

राख क्षणिक पतंग की है अमर दीपक की निशानी!

है तुझे अंगार-शय्या पर मृदुल कलियाँ बिछाना!

जाग तुझको दूर जाना!

प्रश्न-1     साधना पथ का शत्रु किसे कहा है?

उत्तर     कवयित्री ने अकर्मण्यता और आलस्य को साधना पथ का शत्रु कहा है।

प्रश्न-2     दुःख और दारूण परिस्थितियों में साधक को क्या करते रहने की सलाह दी है?

उत्तर     दुःख और दारूण परिस्थितियों को भूलाकर साधक को निरन्तर आगे बढ़ते रहना चाहिए।

प्रश्न-3     कवयित्री के अनुसार किस स्थिति के बिना ऑंसुओं का कोई मूल्य नहीं होता और क्यों?

उत्तर     जब तक हृदय में अग्नि प्रज्वलित न हो, ऑंसुओं का कोई मूल्य नहीं क्योंकि यही आग साधक को साध्य प्राप्ति के लिए प्रेरित करती है।

प्रश्न-4     प्रयत्न में विफलता को भी कवयित्री ने क्या माना है?

उत्तर     प्रयत्न में विफलता भी विजय के समान ही है।

प्रश्न-5     पतंगे का उदाहरण देकर कवयित्री क्या कहना चाहती है।

उत्तर     पतंगें का उदाहरण देकर कवयित्री यह कहना चाहती है कि जिस प्रकार पतंगा, दीपक की लै में जलकर अमर हो जाता है, उसी प्रकार साधक भी लक्ष्य प्राप्ति का प्रयत्न करते हुए मिट भी जाएगा, तो भी अमर हो जाएगा।

प्रश्न-6     कवयित्री ने तपस्या से किसका निर्माण करने की बात कही है?

उत्तर     कष्टों से भरे इस संसार में फूलों की कोमल कलियों जैसी आनंदमय स्थितियों का निर्माण करने की बात कही है।

प्रश्न-7     काव्यांश में प्रयुक्त अलंकार का नाम बतलाइए।

उत्तर     रूपक, मानवीकरण और अनुप्रास अलंकार

प्रश्न-8     कविता का शीर्षक एवं कवि का नाम बतलाइए?

उत्तर     कविता का शीर्षक है-गीत और कवयित्री है-महादेवी वर्मा

महादेवी वर्मा/गीत-2/पंथ होने दो अकेला

गीत-2

।ण्        .पंथ होने दो अपरिचित ………………………… द्वीप खेला

1.पंथ होने दो अपरिचित प्राण रहने दो अकेला!

घेर ले छाया अमा बन,

आज कज्जल-अश्रुओं में रिमझिमा ले वह घिरा घन;

और होंगे नयन सूखे,

तिल बुझे औ पलक रूखे,

आर्द्र चितवन में यहाँ

शत विद्युतों में दीप खेला!

प्रश्न-1     साधना पथ पर साधक को क्या होने की बात कही है?

उत्तर     कवयित्री ने साधना पथ को अपरिचित और प्राण को अकेला रहने की बात कही है।

प्रश्न-2     कवयित्री ने किन स्थितियों में भी चिन्ता न करने की बात कही है?

उत्तर     छाया के अंधकार से घिरने और ऑंखांे से ऑंसुओं की वर्षा होने पर चिन्ता न करने की बात कही है।

प्रश्न-3     ‘वे ऑंखें और होगी’ कहने से कवयित्री का क्या आशय है?

उत्तर     वे ऑंखें और होगी, कहने से कवयित्री का आशय यह है कि वह उन लोगों में से नही है, जो कठिनाइयॉं आने पर जिनकी ऑंखें सूख जाती है, ऑंखांे के तिल बुझ जाते है, पलके रूखी हो जाती है।

प्रश्न-4     सैकड़ों विद्युतों में भी खेलना सीखा है, कहने से कवयित्री का क्या आशय है?

उत्तर     कवयित्री का आशय है कि कष्टो से घबराकर उसने पीछे हटना नहीं सींखा है।

प्रश्न-5     काव्यांश में प्रयुक्त अलंकार बतलाइए।

उत्तर     अनुप्रास और अति श्योक्ति।

प्रश्न-6     कविता का शीर्षक एवं कवि का नाम बतलाइए?

उत्तर     कविता का शीर्षक है-गीत-2 ‘पंथ होने दो अकेला’ और कवयित्री है-महादेवी वर्मा

ठण्       अन्य होंगे …………………………स्वर्ण बेला।

2.अन्य होंगे चरण हारे,

और हैं जो लौटते, दे शूल की संकल्प सारे;

दुरूखव्रती निर्माण उन्मद

यह अमरता नापते पद,

बाँध देंगे अंक-संसृति

से तिमिर में स्वर्ण बेला!

प्रश्न-1     ‘वे कोई और ही चरण  होंगे’ कहने से कवयित्री का क्या आशय है ?

उत्तर     कवयित्री का आशय है कि मेरे चरण ऐसे नहीं है जो रास्ते के कॉंटों के समक्ष अपने संकल्प का समर्पण कर दे और निराश होकर लौट जाए।

प्रश्न-2     कवयित्री ने अपने चरणों की क्या विशेषता बतलाई है?

उत्तर     कवयित्री कहती है कि उसके चरणों ने कष्ट सहनें की शपथ खाई है, वे नव निर्माण के मनोरथ लेकर मस्ती से भरे हुए, प्रिय का पथ नाप रहे है।

प्रश्न-3     कवयित्री के चरण किस परिवर्तन की क्षमता रखते है?

उत्तर     कवयित्री के चरण दृढता पूर्वक संसार में व्याप्त अंधकार को सुनहरे प्रकाश में परिवर्तित कर सकते है, अर्थात् निराशा को आशा में बदल सकते है।

प्रश्न-4     काव्यांश मंे प्रयुक्त अलंकार बतलाइए।

उत्तर     रूपक एवं भेद अतिश्योक्ति।

प्रश्न-5     कविता का शीर्षक एवं कवि का नाम बतलाइए?

उत्तर     कविता का शीर्षक है-गीत-2 ‘पंथ होने दो अकेला’ और कवयित्री है-महादेवी वर्मा

ब्ण्        दूरी होगी ………………………… एक मेला।

3 दूसरी होगी कहानी,

शून्य में जिसके मिटे स्वर, धूलि में खोई निशानी,

आज जिस पर प्रलय विस्मित,

मैं लगाती चल रही नित,

मोतियों की हाट औ

चिनगारियों का एक मेला!

प्रश्न-1     कवयित्री ने अपनी और दूसरे की कहानी में क्या अन्तर बतलाया?

उत्तर     कवयित्री कहती है कि अन्य की कहानी के नायकों का स्वर लक्ष्य प्राप्त किए बिना ही शंात हो जाता है,उनके पग चिन्हों को समय की धूल मिटा देती है, जबकि मेरे कदम तब तक नहीं रूकेगे जब तक गंतत्व प्राप्त न हो जाए।

प्रश्न-2     कवयित्री के पद चिन्हों को समय की धूल क्यों न मिटा सकेगी?

उत्तर     क्योंकि कवयित्री के पास दृढ़ निश्चयी आध्यात्मिक शक्ति है, जिसके कारण समय की धूल भी उसके पद चिन्हों को मिटा न सकेगी,

प्रश्न-3     कवयित्री की किस विशेषता केा देखकर पलय की आश्चर्य होगा?

उत्तर     प्रियतम परमात्मा पर मर मिटने के कवयित्री के पवित्र दृढ़ संकल्प को देखकर प्रलय को आश्चर्य होगा ?

प्रश्न-4     कवयित्री अपने ऑंसू रूपी मोतियों का खजाना लुटाने के लिए हाट क्यों लगाती है?

उत्तर     कवयित्री अपने ऑंसू रूपी मोतियों का खजाना लुटाने के लिए हाट इसलिए लगाती है ताकि कवयित्री के ऑंसू  रूपी मोतियों की चमक दूसरे साधकों के हृदय में मेरे दृढ़ संकल्प जैसे भावों की चिंगारी सुलगा सके।

प्रश्न-5     काव्यांश में प्रयुक्त अलंकार का नाम बतलाइए?

उत्तर     अनुप्रास एवं रूपक अलंकार।

प्रश्न-6     कविता का शीर्षक एवं कवि का नाम बतलाइए?

उत्तर     कविता का शीर्षक है-गीत-2 ‘पंथ होने दो अकेला’ और कवयित्री है-महादेवी वर्मा

क्ण्       हास का मधु  ………………………… दुकेला।

4 हास का मधु दूत भेजो,

रोष की भ्र-भंगिमा पतझार को चाहे सहेजो।

ले मिलेगा उर अंचचल,

वेदना-जल, स्वप्न-शतदल,

जान लो वह मिलन एकाकी

विरह में है दुकेला!

पंथ होने दो अपरिचित प्राण रहने दो अकेला!

प्रश्न-1     कवयित्री का अडिग हृदय वेदना का जल और स्वप्नों का कमल पुष्प किस स्थिति में भी प्रियतम की सेवा में उपस्थित रहेगा?

उत्तर     यदि कवयित्री प्रियतम परमात्मा मुस्कान का मधुर दूत भेजकर कवयित्री को आकृष्ट करे, चाहे भृकुटी चढ़ाकर क्रोध प्रकट करे अर्थात् प्रियतम परमात्मा के प्रसन्न अथवा क्रोध की स्थिति में भी वह प्रियतम परमात्मा की सेवा में उपस्थित रहेगी।

प्रश्न-2     विरह की स्थिति में कवयित्री स्वयं को कैसा अनुभव करती है।

उत्तर     विरह की स्थिति में कवयित्री स्वयं को अपने प्रियतम परमात्मा से अलग अनुभव करती है।

प्रश्न-3     मिलन की स्थिति में कवयित्री कैसा अनुभव करती है?

उत्तर     मिलन की स्थिति में कवयित्री अपने प्रियतम परमात्मा से इस प्रकार एकाकार हो जाती है, कि पृथकता का अनुभव ही नहीं होता।

प्रश्न-4     काव्यांश में कवयित्री ने क्या विश्वास व्यक्त किया है?

उत्तर     कवयित्री ने विश्वास व्यक्त किया है कि साधना का पथ अपरिचित हो, इस पथ पर उसके प्राण अकेले हो, फिर भी वह एक न एक दिन अपने प्रियतम परमात्मा को पा लेगी।

प्रश्न-5     काव्यांश में प्रयुक्त अलंकार बतलाइए

उत्तर     मानवीकरण, रूपक एवं अनुप्रास।

प्रश्न-6     कविता का शीर्षक एवं कवि का नाम बतलाइए?

उत्तर     कविता का शीर्षक है-गीत-2 ‘पंथ होने दो अकेला’ और कवयित्री है-महादेवी वर्मा

महादेवी वर्मा/गीत-3/पंथ होने दो अकेला

गीत-3

मैं नीरभरी दुःख की बदली!

स्पन्दन में चिर निस्पन्द बसा,

क्रन्दन में आहत विश्व हँसा,

नयनों में दीपक से जलते

पलकों में निर्झरिणी मचली!’

।ण्        मै भरी दुःख ………………………… निर्झरिणी मछली।

प्रश्न-1     कवयित्री ने अपने जीवन की तुलना किससे की है और क्यों?

उत्तर     कवयित्री ने अपने जीवन की तुलना बादल से की है, जिस प्रकार बदली जल से भरी होती है, उसी भांति कवयित्री का जीवन भी दुःख के कारण ऑंखें आंसुओं से भरी है।

प्रश्न-2     कवयित्री ने बादलों मे कम्पन्न से स्वयं की तुलना क्यों की है?

उत्तर     जिस प्रकार बादलों में कम्पन्न व्याप्त रहता है, उसी भांति कवयित्री का हृदय भी विरह वेदना से कम्पित रहता है।

प्रश्न-3     ताप त्रस्त संसार बादलों की गर्जना से प्रसन्न होता है, तो पाठक कवयित्री की किस विशेषता से प्रसन्न होता है?

उत्तर     ताप त्रस्त संसार बादलों की गर्जना से प्रसन्न होता है, उसी भांति पाठक कवयित्री की वेदना युक्त काव्य को पढ़कर प्रसन्न होता है।।

प्रश्न-4     बादलों में व्याप्त बिजली और जल वर्षण तथा कवयित्री के जीवन में क्या साम्य है?

उत्तर     जिस प्रकार बादलों से बिजली उत्पन्न होती है और उसके वर्षण से नदियॉं प्रवाहित होती है, उसी प्रकार कवयित्री की ऑंखों में विरह वेदना का दीपक जलता रहता है और नैत्रों से अश्रु प्रवाहित होते रहते है।

प्रश्न-5     काव्यांश में प्रयुक्त अलंकार का नाम बतलाइए?

उत्तर     रूपक, उपमा एवं मानवीकरण

प्रश्न-6     कविता का शीर्षक एवं कवि का नाम बतलाइए?

उत्तर     कविता का शीर्षक है-गीत-3 एवं कवयित्री का नाम है- महादेवी वर्मा

ठण्       मेरा पग पग संगीत ………………………… अंकुर बन निकली!

2 मेरा पग पग संगीत भरा,

श्वासों से स्वप्न-पराग झरा,

नभ के नव रँग बुनते दुकूल,

छाया में मलय-बयार पली!

3 मैं क्षितिज-भृकुटी पर घिर धूमिल,

चिन्ता का भार बनी अविरल,

रज-कण पर जल-कण हो बरसी

नव जीवन-अंकुर बन निकली!

प्रश्न-1     मेरा पग-पग संगीत भरा से कवयित्री का क्या आशय है?

उत्तर     कवयित्री का आशय है कि परमात्मा मिलने के लिए बढ़ते हुए उसके कदमों से वैसे ही संगीत की अनुभूति होती है जैसे बादलों की गर्जन और थिरकन में संगीत होता है।

प्रश्न-2     श्वासों से स्वप्न पराग झरने से कवयित्री का क्या आशय है?

उत्तर     श्वासों से स्वप्न पराग झरने से कवयित्री का आशय प्रियतम परमात्मा से मिलन की कल्पना से उत्पन्न सुखद अनुभूति से है।

प्रश्न-3     आकाश के इन्द्र धनुष एवं मलयगिरी की सुगंधित वायु कवयित्री से किस प्रकार साम्य रखती है?

उत्तर     जिस प्रकार वर्षा के बाद आकाश में इन्द्र धनुष से सुशोभित हो जाता है, मलयगिरि की ओर से सुगंधित वायु आने लगती है, वैसे ही कवयित्री भी परमात्मा प्रियतम की आभा से सुशोभित अनुभव करने लगती है और उनसे मिलन की स्मृति हृदय को वैसे ही प्रसन्न करने वाली लगने लगती जिस प्रकार मलयागिरि की ओर से आने वाली सुगंधित वायु।

प्रश्न-4     काव्यांश में प्रयुक्त अलंकार बतलाइए?

उत्तर     रूपक एवं मानवीकरण अलंकार।

प्रश्न-5     कविता का शीर्षक एवं कवि का नाम बतलाइए?

उत्तर     कविता का शीर्षक है-गीत-3 एवं कवयित्री का नाम है- महादेवी वर्मा

क्ण्       पथ को न मलिन ………………………… मिट आज चली।

4 पथ को न मलिन करता आना

पद-चिह्न न दे जाता जाना,

मेरे आगम की जग में

सुख की सिरहन हो अन्त खिली!

5 विस्तृत नभ का कोई कोना,

मेरा न कभी अपना होना,

परिचय इतना इतिहास यही

उमड़ी कल थी मिट आज चली!

प्रश्न-1     काव्यांश में बदली और कवयित्री के जीवन में क्या बतलाया है?

उत्तर     जिस प्रकार बादलों के आगमन से आकाश में न मलिनता आती और न बरसने के बाद कोई चित्र शेष रहता है किन्तु उसके आगमन के संकेत से प्रसन्नता अवश्य होती है, उसी भांति मेंरे संसार में आने से न कोई मलिनता आई और न मेरी मृत्यु के बाद मेरा कोई चिन्ह शेष रहेगा, किन्तु मेरा काव्य के आगमन से पाठक प्रसन्न होंगे ।

प्रश्न-2     विस्तृत नभ का कोई कोना न अपना होना कहने से कवयित्री का क्या आशय है?

उत्तर     इस संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है।

प्रश्न-3     मिट आज चली कहकर कवयित्री ने कौनसा भाव व्यक्त किया है?

उत्तर     मिट आज चली कहकर कवयित्री ने कहना चाहा है कि जीवन इन बादलों के समान ही क्षण भंगुर है, समयोपरान्त हर कोई बस एक इतिहास बनकर रह जाता है।

प्रश्न-4     काव्यांश में प्रयुक्त अलंकार बतलाइए?

उत्तर     अनुप्रास एवं मानवीकरण

प्रश्न-5     कविता का शीर्षक एवं कवि का नाम बतलाइए?

उत्तर     कविता का शीर्षक है-गीत-3 एवं कवयित्री का नाम है- महादेवी वर्मा

सूक्तिपरक पंक्तियों की संसदर्भ व्याख्या

;3द्ध      हार भी मेरी बनेगी मानिनी जय की पताका।

                व्याख्या – महादेवी जी कहती हैं कि यदि अपने प्रियतम से मिलने की एकनिष्ठ छटपटाहट हृदय में हो और यदि हम लक्ष्य तक पहुँचकर हार भी जायें तो हमारी हार भी हमारी जीत ही मानी जायेगी, अर्थात् हमारी हार भी हार नही वरन् जीत कहलायेगी।

;2द्ध      मैं नीर भरी दुःख की बदली।

                व्याख्या – मैं तो जल में भरी हुई दुःख की बदली हूँ। जिस प्रकार बदली में ‘नीर’ भरा रहता हैं उसी प्रकार मेरे नेत्रों में अश्रु भरे रहते है और मेरे जीवन में वेदना बदली के समान ही उमड़-उमड़ कर आती रहती है। बदली अनेक स्पन्दनों को ग्रहण करके जड़ता को धारण किये रहती है। उसी प्रकार मेरा जीवन भी अनेक अभिलाषाओं की पूर्ति के लिए स्पंन्दित होता रहता हैं, फिर भी जीवन की निराशा ने मुझे जड़ बना दिया है।

;3द्ध      पिरचय इतना इतिहास यही उमड़ी कल थी मिट आज चली।

                विस्तुत नभ का कोई कोना, मेरा न कभी अपना होना।

                व्याख्या – कवयित्री मानती हैं कि जैसे मेघ का आकश के किसी भी भाग पर अधिकार नहीं होता, वैसे ही जीवात्मारूपी मेरा संसार रूपी विस्तृत आकाश का कोई भी भाग, कभी भी अपना नही है। मेरा तो परिचय या इतिहास केवल यही हैं कि मै कल भरी थी और आज मिट रही हूँ।

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