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November 12, 2022
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शिरीष के फूल,हजारी प्रसाद द्विवेदी

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हजारी प्रसाद द्विवेदी

5. शिरीष के फूल (हजारी प्रसाद द्विवेदी )

निम्नलिखित गदयांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए दृ

प्रश्न 1रूजहाँ बैठ के यह लेख लिख रहा हूँ उसके आगे-पीछे, दायें-बायें, शिरीष के अनेक पेड़ हैं। जेठ की जलती धूप में, जबकि धरित्री निधूम अग्निकुंड बनी हुई थी, शिरीष नीचे से ऊपर तक फूलों से लद गया था। कम फूल इस प्रकार की गरमी में फूल सकने की हिम्मत करते हैं। कर्णिकार और आरग्वध (अमलतास) की बात मैं भूल नहीं रहा हूँ। वे भी आस-पास बहुत हैं। लेकिन शिरीष के साथ आरग्वध की तुलना नहीं की जा सकती। वह पंद्रह-बीस दिन के लिए फूलता है, वसंत ऋतु के पलाश की भाँति। कबीरदास को इस तरह पंद्रह दिन के लिए लहक उठना पसंद नहीं था। यह भी क्या कि दस दिन फूले और फिर खंखड़-के-खंखड़-‘दिन दस फूला फूलिके, खंखड़ भया पलास!’ ऐसे दुमदारों से तो लैंडूरे भले। फूल है शिरीष। वसंत के आगमन के साथ लहक उठता है, आषाढ़ तक जो निश्चित रूप से मस्त बना रहता है। मन रम गया तो भरे भादों में भी निर्घात फूलता रहता है।

प्रश्नरू1 लेखक कहाँ बैठकर लिख रहा है?

(अ)अपने अध्ययनकक्ष में बैठकर          

(ब) पेड पर  बैठकर      

(स) पेड़ के नीचे बैठकर            

(द)उपर्युक्त में से कहीं नहीं

उत्तर -(स) पेड़ के नीचे बैठकर

प्रश्न-2 लेखक शिरीष के फूल की क्या विशेषता बताता हैं?

(अ)गर्मी में मुरझा जाता है         

(ब)गर्मी में भी खिला रहता है     

(स)दिन को खिलाता है और रात को मुरझा जाता है        

(द)उपर्युक्त में से कोई सही नहीं

उत्तर – (ब)गर्मी में भी खिला रहता है

प्रश्न- 3 कबीरदास को कौन-से फूल पसंद नहीं थे?

(अ)10-15 दिन खिलनेवालेफूल  

(ब)एक-दो महीने खिलना

(स)एक दिन खिलाना    

(द) उपर्युक्त में से कोई सही नहीं

उत्तर – 10-15 दिन खिलनेवालेफूल

प्रश्न-4 शिरीष किस ऋतु में लहकता है ?

(अ)शरद          

(ब)ग्रीष्म           

(स) वसंत ऋतु में 

(द)वर्षा

उत्तर -(स) वसंत ऋतु में

प्रश्न 2रू मन रम गया तो भरे भादों में भी निर्धात फूलता रहता है। जब उमस से प्राण उबलता रहता है और लू से हृदय सूखता रहता है, एकमात्र शिरीष कालजयी अवधूत की भाँति जीवन की अजेयता का मंत्रप्रचार करता रहता है। यद्यपि कवियों की भाँति हर फूल-पत्ते को देखकर मुग्ध होने लायक हृदय विधाता ने नहीं दिया है, पर नितांत दूँठ भी नहीं हूँ। शिरीष के पुष्प मेरे मानस में थोड़ा हिल्लोल जरूर पैदा करते हैं।

प्रश्नरू

प्रश्नरू1  वह है जो सांसारिक मोहमाया से ऊपर होता है, उसे लेखक ने कहा है –

(अ)सन्यासी      

(ब)अवधूत        

(स)साधक        

(द)उपर्युक्त सभी

उत्तर – (ब) अवधूत

प्रश्न-2 ‘नितांत ढूँठ’ का क्या अर्थ है –

(अ)पीला पड़ा हुआ       

(ब)काला पड़ा हुआ       

(स) रसहीन होना।        

(द) उपर्युक्त में से कोई सही नहीं

उत्तर – (स) -रसहीन होना

प्रश्न- 3 लेखन ने शिरीष के पेड़ को बतलाया है –

(अ)कालजयी पेड़         

(ब)कालजयी वनस्पति   

(स)कालजयी अवधूत    

(द) उपर्युक्त में से कोई सही नहीं

उत्तर – (स)कालजयी अवधूत

प्रश्न-4 शिरीष का पेड़ किसका मन्त्र प्रचार करता है –

(अ)जीवन की अजेयता का        

(ब)जीवन की अमरता का          

(स) जीवन की नश्वरता  का        

(द) उपर्युक्त में से कोई सही

उत्तर – (अ) जीवन की अजेयता का

प्रश्न 3रू शिरीष के फूले की कोमलता देखकर परवर्ती कवियों ने समझा कि उसका सब-कुछ कोमल है! यह भूल है। इसके फल इतने मजबूत होते हैं कि नए फूलों के निकल आने पर भी स्थान नहीं छोड़ते। जब तक नए फल-पत्ते मिलकर, धकियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते तब तक वे डटे रहते हैं। वसंत के आगमन के समय जब सारी वनस्थली पुष्प-पत्र से मर्मरित होती रहती है, शिरीष के पुराने फल बुरी तरह खड़खड़ाते रहते हैं। मुझे इनको देखकर उन नेताओं की बात याद आती है, जो किसी प्रकार जमाने का रुख नहीं पहचानते और जब तक नई पौध के लोग उन्हें धक्का मारकर निकाल नहीं देते तब तक जमे रहते हैं।

प्रश्नरू1 शिरीष के फूले की कोमलता देखकर परवर्ती कवि क्या समझते है –

(अ) शिरीष के पेड़ का सब-कुछ कोमल है         

(ब) शिरीष के पेड़ का सब-कुछ कठोर  है         

(स) शिरीष के पेड़ का सब-कुछ शुष्क  है          

(द) उपर्युक्त में से कोई सही

उत्तर – (अ) शिरीष के पेड़ का सब-कुछ कोमल है          

प्रश्न-2 लेखक ने शिरीष के फलों को कैसा बतलाया है दृ

(अ)कमजोर     

(ब) रसहीन      

(स) मज़बूत      

(द) उपर्युक्त में से कोई सही

उत्तर -(स) मज़बूत

प्रश्न-3 शिरीष के फलों को देखकर लेखक को किसकी याद आती है दृ

(अ) महात्मा गांधी की    

(ब) वृद्ध नेताओं की      

(स) कबीर की  

(द)कालिदास की

उत्तर -(ब) वृद्ध नेताओं की

प्रश्न-4 लेखक के अनुसार नेता क्या नहीं पहचानते दृ

(अ)ज़माने की रफ़्तार    

(ब)ज़माने का परिवर्तित रूप     

(स) जमाने का रुख       

(द)उपर्युक्त सभी

उत्तर – (स) जमाने का रुख

प्रश्न 4रू मैं सोचता हूँ कि पुराने की यह अधिकार-लिप्सा क्यों नहीं समय रहते सावधान हो जाती? जरा और मृत्यु, ये दोनों ही जगत के अतिपरिचित और अतिप्रामाणिक सत्य हैं। तुलसीदास ने अफसोस के साथ इनकी सच्चाई पर मुहर लगाई थी-‘धरा को प्रमान यही तुलसी, जो फरा सो झरा, जो बरा सो बुताना!’ मैं शिरीष के फूलों को देखकर कहता हूँ कि क्यों नहीं फलते ही समझ लेते बाबा कि झड़ना निश्चित है! सुनता कौन है? महाकालदेवता सपासप कोड़े चला रहे हैं, जीर्ण और दुर्बल झड़ रहे हैं, जिनमें प्राणकण थोड़ा भी ऊर्ध्वमुखी है, वे टिक जाते हैं। दुरंत प्राणधारा और सर्वव्यापक कालाग्नि का संघर्ष निरंतर चल रहा है। मूर्ख समझते हैं कि जहाँ बने हैं, वहीं देर तक बने रहें तो कालदेवता की आँख बचा जाएँगे। भोले हैं वे। हिलते-डुलते रहो, स्थान बदलते रहो, आगे की ओर मुँह किए रहो तो कोड़े की मार से बच भी सकते हो। जमे कि मरे!

प्रश्नरू1 जीवन का सत्य क्या हैं?

(अ)ज़रा और मृत्यु         

(ब)बचपन और बुढ़ापा  

(स) जवानी और बुढ़ापा

(द)जन्म और मृत्यु

उत्तर -(अ)ज़रा और मृत्यु

प्रश्न-2 -‘धरा को प्रमान यही तुलसी, जो फरा सो झरा, जो बरा सो बुताना!’यह कथन किसका है –

(अ)कबीर का   

(ब)रवींद्र नाथ का          

(स) तुलसी का  

(द)सुमित्रानंदन पन्त का

उत्तर -(स) तुलसी का

प्रश्न-3 इन्हें फूलते ही यह समझ लेना चाहिए कि झड़ना निश्चित है,लेखक ने यह कथन किसे देखकर कहा –

 (अ)केतकी के फूलों को देखकर           

(ब) शिरीष के फूलों को देखकर

(स )बकुल के पेड़ को देखकर   

(द)उपर्युक्त सभी को देखकर

उत्तर -(ब) शिरीष के फूलों को देखकर

प्रश्न-4 महाकाल देवता के  सपासप कोड़े से कौन झड रहे है –

(अ) जीर्ण और दुर्बल     

(ब)  दुर्जन 

(स) पापात्मा     

(द) दुर्जन  और  पापात्मा

उत्तर -(अ) जीर्ण और दुर्बल

प्रश्न 5रू एक-एक बार मुझे मालूम होता है कि यह शिरीष एक अद्भुत अवधूत है। दुख हो या सुख, वह हार नहीं मानता। न ऊधो का लेना, न माधो का देना। जब धरती और आसमान जलते रहते हैं, तब भी यह हजरत न जाने कहाँ से अपना रस खींचते रहते हैं। मौज में आठों याम मस्त रहते हैं। एक वनस्पतिशास्त्री ने मुझे बताया है कि यह उस श्रेणी का पेड़ है जो वायुमंडल से अपना रस खींचता है। जरूर खींचता होगा। नहीं तो भयंकर लू के समय इतने कोमल तंतुजाल और ऐसे सुकुमार केसर को कैसे उगा सकता था? अवधूतों के मुँह से ही संसार की सबसे सरस रचनाएँ निकली हैं। कबीर बहुत-कुछ इस शिरीष के समान ही थे, मस्त और बेपरवाह, पर सरस और मादक। कालिदास भी जरूर अनासक्त योगी रहे होंगे। शिरीष के फूल फक्कड़ाना मस्ती से ही उपज सकते हैं और ‘मेघदूत’ का काव्य उसी प्रकार के अनासक्त अनाविल उन्मुक्त हृदय में उमड़ सकता है। जो कवि अनासक्त नहीं रह सका, जो फक्कड़ नहीं बन सका, जो किए-कराए का लेखा-जोखा मिलाने में उलझ गया, वह भी क्या कवि है?

प्रश्नरू1 लेखक ने शिरीष को क्या संज्ञा दी है-

(अ) कालजयी

(ब) संन्यासी  

(स )  अवधूत    

(द)उपर्युक्त सभी

उत्तर -(स )  अवधूत

प्रश्न-2 जब धरती और आसमान जलते रहते हैं, तब भी यह हजरत न जाने कहाँ से अपना रस खींचते रहते हैं।इस पंक्ति में हज़रत शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है –

(अ) शिरीष के पेड़ के लिए

(ब)  बकुल के पेड़ के लिए

(स ) अमलतास के पेड़ के  लिए

(द) सभी पेड़ों के लिए

उत्तर -(अ) शिरीष के पेड़ के लिए

प्रश्न-3लेखक के अनुसार  किनके मुँह से  संसार की सबसे सरस रचनाएँ निकली हैं-

(अ) स्वाध्याय करने वालों के मुँह से

 (ब) ‘अवधूतों के मुँह से

 (स )  साहित्यकारों मुँह से

(द) उपर्युक्त सभी के मुँह से

उत्तर -(ब) ‘अवधूतों के मुँह से 

प्रश्न-4 लेखक के अनुसार  शिरीष के समान मस्त और बेपरवाह सरस और मादक किसे कहा है –

(अ)रवींद्र नाथ को           

(ब) सुमित्रानंदन पन्त को

(स ) कबीर को

(द) तीनो को

उत्तर -(स ) कबीर को

प्रश्न 6रू

कालिदास वजन ठीक रख सकते थे, वे मजाक व अनासक्त योगी की स्थिर-प्रज्ञता और विदग्ध प्रेमी का हृदय पा चुके थे। कवि होने से क्या होता है? मैं भी छंद बना लेता हूँ तुक जोड़ लेता हूँ और कालिदास भी छंद बना लेते थे-तुक भी जोड़ ही सकते होंगे इसलिए हम दोनों एक श्रेणी के नहीं हो जाते! पुराने सहृदय ने किसी ऐसे ही दावेदार को फटकारते हुए कहा था-‘वयमपि कवयरू कवयरू कवयस्ते कालिदासाद्द्या!’ मैं तो मुग्ध और विस्मय-विमूढ़ होकर कालिदास के एक-एक श्लोक को देखकर हैरान हो जाता हूँ। अब इस शिरीष के फूल का ही एक उदाहरण लीजिए। शकुंतला बहुत सुंदर थी। सुंदर क्या होने से कोई हो जाता है? देखना चाहिए कि कितने सुंदर हृदय से वह सौंदर्य डुबकी लगाकर निकला है। शकुंतला कालिदास के हृदय से निकली थी। विधाता की ओर से कोई कार्पण्य नहीं था, कवि की ओर से भी नहीं। राजा दुष्यंत भी अच्छे-भले प्रेमी थे। उन्होंने शकुंतला का एक चित्र बनाया था; लेकिन रह-रहकर उनका मन खीझ उठता था। उहूँ कहीं-न-कहीं कुछ छूट गया है। बड़ी देर के बाद उन्हें समझ में आया कि शकुंलता के कानों में वे उस शिरीष पुष्प को देना भूल गए हैं, जिसके केसर गंडस्थल तक लटके हुए थे, और रह गया है शरच्चंद्र की किरणों के समान कोमल और शुभ्र मृणाल का हार।

प्रश्नरू1 लेखक ने कालिदास की क्या विशेषता बतलाई है-

(अ) अनासक्त योगी      

 (ब) स्थिर-प्रज्ञता           

(स )  विदग्ध प्रेमी          

(द)उपर्युक्त सभी

उत्तर -(द)उपर्युक्त सभी

प्रश्न- 2 कौनसी नायिका कालिदास के ह्रदय से निकली थी –

(अ)उर्वशी        

 (ब)रम्भा          

(स ) शची         

(द) शकुंतला

 उत्तर -(द) शकुंतला

प्रश्न-3 शकुंलता के चित्र में  कानों में शिरीष पुष्प और गले में शुभ्र मृणाल लगाना कौन भूल गए थे दृ

(अ)दुष्यंत           

(ब)कालिदास   

(स )  लेखक     

(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं

 उत्तर – (अ) दुष्यंत       

प्रश्न-4 लेखक के अनुसार देखनेवाले वाले की दृष्टि में क्या होना आवश्यक बतलाया है –

(अ) पवित्रता     

 (ब) तटस्थता   

(स ) सौन्दर्य बोध          

(द) उपर्युक्त सभी

 उत्तर – (स ) सौन्दर्य बोध 

प्रश्न 7रूकालिदास सौंदर्य के बाहय आवरण को भेदकर उसके भीतर तक पहुँच सकते थे, दुख हो कि सुख, वे अपना भाव-रस उस अनासक्त कृपीवल की भाँति खींच लेते थे जो निर्दलित ईक्षुदंड से रस निकाल लेता है। कालिदास महान थे, क्योंकि वे अनासक्त रह सके थे। कुछ इसी श्रेणी की अनासक्ति आधुनिक हिंदी कवि सुमित्रानंदन पंत में है। कविवर रवींद्रनाथ में यह अनासक्ति थी। एक जगह उन्होंने लिखा-‘राजोद्यान का सिंहद्वार कितना ही अभ्रभेदी क्यों न हो, उसकी शिल्पकला कितनी ही सुंदर क्यों न हो, वह यह नहीं कहता कि हममें आकर ही सारा रास्ता समाप्त हो गया। असल गंतव्य स्थान उसे अतिक्रम करने के बाद ही है, यही बताना उसका कर्तव्य है।” फूल हो या पेड़, वह अपने-आप में समाप्त नहीं है। वह किसी अन्य वस्तु को दिखाने के लिए उठी हुई अँगुली है। वह इशारा है।

प्रश्नरू1 कालिदास किसे  भेदकर उसके भीतर तक पहुँच सकते थे,

(अ) सप्त आवरण को     

(ब) सौन्दर्य के आतंरिक आवरण को      

(स ) सौंदर्य के बाहय आवरण को          

(द)उपर्युक्त सभी 

 उत्तर – (स ) सौंदर्य के बाहय आवरण को

प्रश्न-2कालिदास अपना भाव-रस किस की भाँति खींच लेते थे-

(अ) मधु मक्खी की भांति

(ब) अनासक्त कृपीवल की भांति            

(स ) तितली की भांति    

(द) उपर्युक्त सभी  की भांति

 उत्तर – (ब) अनासक्त कृपीवल की भांति

प्रश्न-3 किन कवि को लेखक ने कालिदास के समान माना है –

(अ) सुमित्रानंदन पन्त 

(ब)रवीन्द्र नाथ ठाकुर    

(स ) सुमित्रानंदन पन्त और  रवीन्द्र नाथ ठाकुर दोनों को  

(द) किसी को भी नहीं

 उत्तर – (स ) सुमित्रानंदन पन्त और  रवीन्द्र नाथ ठाकुर दोनों को

प्रश्न-4 लेखक ने किस कवि को महान कहा है –

(अ) सुमित्रानंदन पन्त को  

(ब) रवीन्द्र नाथ ठाकुर को

(स )कालिदास को

(द) तीनों को

 उत्तर-(स )कालिदास को

प्रश्न 8रू शिरीष तरु सचमुच पक्के अवधूत की भाँति मेरे मन में ऐसी तरंगें जगा देता है जो ऊपर की ओर उठती रहती हैं। इस चिलकती धूप में इतना सरस वह कैसे बना रहता है? क्या ये बाहय परिवर्तन-धूप, वर्षा, आँधी, लू-अपने आपमें सत्य नहीं हैं? हमारे देश के ऊपर से जो यह मार-काट, अग्निदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर का बवंडर बह गया है, उसके भीतर भी क्या स्थिर रहा जा सकता है? शिरीष रह सका है। अपने देश का एक बूढ़ा रह सका था। क्यों मेरा मन पूछता है कि ऐसा क्यों संभव हुआ है? क्योंकि शिरीष भी अवधूत है।

प्रश्नरू1 लेखक के अनुसार कौनसा वृक्ष -धूप, वर्षा, आँधी, लू में सरस बना रह सकता है-

(अ) शिरीष का  (ब)      (स )      (द)

 उत्तर – (अ) शिरीष का

प्रश्न-2 हमारे देश के ऊपर से जो यह मार-काट, अग्निदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर का बवंडर बह गया है,

यह पंक्ति देश की किस अवधि की ओर संकेत करती है –

(अ)अंग्रेजों के शासन काल की ओर  (ब)मुग़लों के शासन  काल की ओर 

(स )मुग़लों के आगमन से पूर्व की ओर    (द) आज़ादी के बाद की ओर

 उत्तर – (अ)अंग्रेजों के शासन काल की ओर 

प्रश्न-3 हमारे देश के ऊपर से जो यह मार-काट, अग्निदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर का बवंडर बह गया है, उसके भीतर भी क्या स्थिर रहा जा सकता है? शिरीष रह सका है। अपने देश का एक बूढ़ा रह सका था।

उक्त पंक्ति में बूढा किसे कहा है दृ

(अ)       (ब)      (स )महात्मा गांधी को     (द)

 उत्तर – (स )महात्मा गांधी को

प्रश्न -4 विषम स्थितियों में भी अविचल रहने की प्रेरणा के लेखक ने किसका उदहारण प्रस्तुत किया है दृ

(अ) कालिदास का          (ब)शिरीष का   (स )गांधी का     (द) शिरीष और गांधी का

 उत्तर – (स )महात्मा गांधी को

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