1. एक दिन सहसा सूरज निकला अरे क्षितिज पर नहीं, नगर के चौकरू धूप बरसी, पर अन्तरिक्ष से नहीं फटी मिट्टी से। भावार्थ: द्वितीय विश्वयुद्ध के…
1. एक दिन सहसा सूरज निकला अरे क्षितिज पर नहीं, नगर के चौकरू धूप बरसी, पर अन्तरिक्ष से नहीं फटी मिट्टी से। भावार्थ: द्वितीय विश्वयुद्ध के…